चंडीगढ़। महान एथलीट मिल्खा सिंह ने 91 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। वे कोरोना से पीड़ित थे। उनकी पत्नी की भी कोरोना से मौत हुई थी। लेकिन मिल्खा सिंह की फिटनेस आज के युवाओं के चुनौती है।
शायद यही कारण है कि उनकी अस्थियों को देखकर श्मशान घाट के पंडित भी एक बार हैरान रह गए। दरअसल रविवार को मिल्खा सिंह की अस्थियों को चंडीगढ़ सेक्टर 25 श्मशान घाट में जब चुना जा रहा था, तो वहां के पंडित ऋषभ शर्मा दंग रह गए।
मीडिया से खास बातचीत में ऋषभ शर्मा ने बताया कि 91 साल की उम्र में ऐसी मजबूत हड्डियां देखने को नहीं मिलती। आमतौर पर निधन के बाद ज्यादातर हड्डियों का चूरा हो जाता है और पीलापन होता है।
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लेकिन मिल्खा सिंह की घुटनों, हाथों और अन्य हड्डिया मजबूत मिली। साथ ही इनमें पीलापन भी नहीं था। उन्होंने बताया कि उन्हें इस शमशान घाट में 7 साल हो गए है, लेकिन इस तरह की अस्थियां काफी कम लोगों में देखने को मिलती हैं। खासकर जिस इंसान की उम्र 91 साल की हो, तो ऐसा काफी कम होता है।
पत्नी का अंतिम संस्कार भी यहीं हुआ था
पंडित ऋषभ शर्मा के मुताबिक ये मिल्खा सिंह की फिटनेस का ही कमाल था। नहीं तो ऐसी अस्थियां कभी कभार ही देखने को मिलती हैं। पंडित ऋषभ की देखरेख में ही रविवार को अस्थियों को चुना गया था।
इसके बाद परिवार के लोगों ने मिल्खा सिंह की अस्थियों को कीरतपुर में प्रवाहित किया। शमशान घाट में उसी जगह मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार किया गया, जहां कुछ दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का संस्कार किया गया था।
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ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे थे
चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी गोल्ड मेडल जीता था। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था, जिसमें वे 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था। मिल्खा सिंह पर ‘भाग मिल्खा भाग’ फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें कि फरहान अख्तर ने उनका किरदार निभाया था। मिल्खा सिंह के परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं।