होलिका दहन में किसी वृक्ष की शाखा को जमीन में गाड़कर उसे चारों तरफ से लकड़ी , कंडे या उपले से ढककर निश्चित मुहूर्त में जलाया जाता है। इसमें छेद वाले गोबर के उपले , गेंहू की नई बालियां और उबटन जलाया जाता है।
ताकि वर्षभर व्यक्ति को आरोग्य कि प्राप्ति हो और उसकी सारी बुरी बलाएं अग्नि में भस्म हो जाएं। होलिका दहन पर लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है। इस बार होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा।
कैसे किया जाता है होलिका दहन ?
होलिका दहन वाली जगह पर कुछ दिनों पहले एक सूखा पेड़ रख दिया जाता है। होलिका दहन के दिन उस पर लकड़ियां , घास , पुआल और उपले रखकर अग्नि दी जाती है।
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होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित करानी चाहिए। होलिका दहन को कई जगह छोटी होली भी कहते हैं। इसके अगले दिन एक – दूसरे को रंग – गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाया जाता है।
होली से जुड़ी पौराणिक कथा
होली से जुड़ी अनेक कथाएं इतिहास – पुराण में पाई जाती हैं। इसमें हिरण्यकश्यप और भक्त प्रलाद की कथा सबसे खास है। कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।
लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा , जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती।
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भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गई। लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ।
होलिका दहन का मुहूर्त
– होलिका दहन रविवार , मार्च 28 , 2021 को
– होलिका दहन मुहूर्त – शाम 06 बजकर 37 मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट तक
– अवधि -02 घंटे 20 मिनट
चार शुभ मुहूर्त
– अभिजीत मुहूर्त- 28 मार्च दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
– अमृत काल -28 मार्च को सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 31 मिनट तक
– सर्वार्थसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 6 बजकर 26 से शाम 5 बजकर 36 तक
– अमृतसिद्धि योग -28 मार्च को सुबह 5 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक