रायपुर। पुलिस मुख्यालय से कोविड संक्रमित जवानों और उनके परिजनों को तत्काल राहत देने की पहल के बीच 15 साल से बम धमाके का इंफेक्शन झेल रहे एक जवान को राहत मिली है। डीजीपी डीएम अवस्थी के आदेश के बाद बलौदाबाजार निवासी पुलिस जवान अश्वनी वैष्णव को गंभीर हालत में रामकृष्ण केयर अस्पताल भर्ती कराया गया।
सालों बाद पहला मौका रहा है, जब जवान को उपचार की बड़ी राहत मिली है। जवान और उसके परिजनों ने पीएचक्यू से व्हाट्स एप नंबर जारी होने के बाद डीजीपी से संपर्क साधा था। 2006 में एक नक्सली घटना में बम धमाका होने के बाद जवान के बदन में करीब 150 छर्रे घुस गए थे। ड्यूटी के दौरान जख्मी होने के बाद से शरीर कमजोर होता चला गया।
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शरीर में छर्रे मौजूद होने के कारण 15 सालों में इंफेक्शन इतना ज्यादा बढ़ गया कि परिजनों के लिए स्थिति संभाल पाना मुश्किल हो गया। प्राइवेट अस्पताल में उपचार पर ही लाखों रुपए खर्च हो गए, बावजूद इसके जवान के बदन में इंफेक्शन बढ़ता गया।
इतने सालों में हालात गंभीर होने के बाद व्हाट्स एप के जरिए परिजनों ने डीजीपी से संपर्क साधा, इसके बाद तत्काल जवान को रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती कराया गया। 13 मई को डीजीपी श्री अवस्थी ने कोविड संक्रमित जवानों के उपचार में मदद के लिए व्हाट्स एप नंबर जारी किया था। पीड़ित परिजनों को राहत देने यह नई व्यवस्था लागू की गई है।
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आरक्षक की माता को वेंटिलेटर: जांजगीर निवासी आरक्षक गिरवाल लहरे ने व्हाट्स एप नंबर पर मैसेज किया कि उनकी मां का ऑक्सीजन लेवल 60 से नीचे पहुंच गया है। उनकी माताजी को ऑक्सीजन की जरूरत है। हालत बहुत ज्यादा खराब है। वे पामगढ़ में हैं। डीजीपी के आदेश के बाद एसपी पारुल माथुर ने वेंटिलेटर की व्यवस्था की।
तत्काल रिस्पांस: डीजीपी श्री अवस्थी ने महामारी के वक्त स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं के तत्काल निराकरण के लिए पहल की है। पुलिसकर्मी एवं उनके परिजन व्हाट्स एप नंबर 9479162319 पर संक्षेप में अपनी समस्या भेज सकते हैं। ऐसे परिवार अपनी समस्या भेज सकते हैं, जो कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से पीड़ित हैं अथवा किन्हीं अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं।
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बड़गांव में नक्सली धमाके में जख्मी: अस्पताल रेफर किए गए प्रधान आरक्षक का नाम अश्वनी वैष्णव है। व्हाट्स एप पर दी गई जानकारी के मुताबिक कांकेर में पदस्थ रहने के दौरान जब बड़गांव में नक्सली हमला हुआ था, उस दौरान अश्वनी बम धमाके की चपेट में आ गए थे। उनके बदन में 150 छर्रे घुस गए। इसके बाद से उपचार चल रहा था।
सही समय पर हो इलाज: व्हाट्स एप नंबर पर समस्या से ग्रसित जवान या उनके परिवार के सदस्यों को मदद देने की सुविधा शुरू की गई है। प्रयास है कि उन्हें सही समय पर बेहतर इलाज मिल सके। कई जवानों ने परिवार में कोविड केस पाए जाने के बाद स्थानांतरण के लिए संपर्क किया है, ऐसे मामलों पर भी विचार किया जाएगा।