रतनपुर के हृदयस्थल मे स्थित ऐतिहासिक मंदिर भगवान पंढरीनाथ मंदिर के प्रबंधक एवं पुजारी प्रभाकर पुंडलिक राव नगरकर जिन्हे बाबा काका के नाम से सभी आत्मीय भाव से पुकारते थे।
उनका आज दुखद निधन हो गया। महाराष्ट्रीयन संस्कृति को आगे बढ़ाने एवं नगर मे महाराष्ट्रीयन परिवार के सीमित संख्या मे होने के बावजूद 300वर्ष पुरानी मंदिर की परंपरा को आगे बढ़ाने मे उन्होने भगिरथ प्रयास किया।
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चाहे वह एक माह तक चलने वाले कार्तिक महोत्सव की बात हो या आषाढ़ी महोत्सव सारे उत्सवो को उन्होंने छत्तीसगढ़ी लोगो की जुगलबंदी से परंपरानुसार ही जीवंत रखा।
सहज सरल और मृदुभाषी स्वभाव ने नगर मे उन्हें सर्वोच्च स्थान दिया।भोगवादी युग मे भी उन्होंने अपने मंदिर को धार्मिक एवं सामाजिक कार्यो के लिए हमेशा न केवल निशुल्क उपलब्ध कराया बल्कि सारी व्यवस्थाओं का स्वयं अवलोकन भी किया करते थे।
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कार्तिक शुक्ल नवमी एवं आषाढ़ शुक्ल नवमी को जब नारद की वेशभूषा मे निकलते थे तो पूरा नगर उनके स्वागत के लिए आतुर रहता था। ऐसे व्यक्तित्व का असमय चले जाना नगर के लिए अपूरणीय क्षति है। वे पंडित आनंद नगरकर एवं अनिरुद्ध नगरकर के पिता थे।