रायपुर। झीरम हमले की आज 8वीं बरसी है। 25 मई 2013 को जीरम घाटी में हुए हमले में कांग्रेस के कई नेताओं ने अपनी जान गंवाई थी। इस हमले की गूंज आज भी छत्तीसगढ़ और देश की राजनीति में सुनाई देती है, क्योंकि किसी राजनीतिक दल के नेताओं की सामूहिक हत्या का ये पहला मामला था।
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25 मई 2013 कांग्रेस की राजनीति में काला दिन साबित हुआ। कांग्रेस का काफिला सुकमा ज़िले से परिवर्तन यात्रा के लिए सभा कर जगदलपुर की ओर आ रहा था। इसी दौरान दरभा थाने से महज़ कुछ किलोमीटर की दूरी पर जीरम घाटी में राष्ट्रीय राजमार्ग पर नक्सलियों ने उस बड़ी घटना को अंजाम दिया, जिससे पूरा देश दहल उठा था।
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झीरम हमले में महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल समेत 32 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इस मामले की जांच कर रही एनआईए ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है. इसमें 140 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें से 40 गिरफ्तार हो चुके हैं।
लेकिन एनआईए अभी तक ये नहीं पता लगा पाई कि इस हमले का मूल मकसद क्या था। सीएम भूपेश बघेल ने हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।